
COVID-19 & Obesity: कोविड-19 महामारी दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित कर रही है। मृत्यु दर को कम करना मेडिकल कम्युनिटी के साथ-साथ नीति निर्माताओं का टॉप फोकस रहा है। जबकि यह स्पष्ट है कि जो लोग बुजुर्ग हैं और जिन्हें को- मोर्बिलिटी (सह-रुग्णता) वाली बीमारी जैसे हृदय रोग, डायबिटीज़, लीवर की समस्या या हाई ब्लड प्रेशर है, उनमें कोरोना वायरस से मरने का ख़तरा ज़्यादा है।
कुछ सबूतों से पता चला है मोटापा भी कोविड-19 से इन्फेक्ट होने पर इसकी गंभीरता और मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। कई स्टडी से संकेत मिले हैं कि मोटापा कोविड-19 के जोखिम और मौत के ख़तरे को बढ़ा देता है। इसलिए अब मोटापे को कम करना सिर्फ सामान्य स्वास्थ्य की बात नहीं रह गई है बल्कि यह कोविड-19 महामारी से मृत्यु दर को नियंत्रित करने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।
जितना ज़्यादा वज़न, उतना ज्यादा ख़तरा
मार्च की शुरुआत में चीन में एक छोटी सी स्टडी की गयी थी, जिसमें पता चला था कि मोटे लोगों को सामान्य लोगों के मुकाबलें यह वायरस ज्यादा संक्रमित कर रहा है और उनमें इसकी वजह से मौत का ख़तरा काफी बढ़ रहा है। अब हाल ही में पब्लिश हुई एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन की स्टडी से पता चला है कि क्लास 3 के मोटापे के मरीज़ों में इंटुबेशन या मौत का ख़तरा ज्यादा रहता है। ज़्यादा वज़नी लोगों में सामान्य मोटे लोगों के मुकाबलें मौत का खतरा ज्यादा था। ज़्यादा वजनी होने का मतलब है कि आपके शरीर के अंगों पर पहले से ही दबाव है। शोधकर्ताओं ने 2,466 रोगियों के डेटा का विश्लेषण किया जो गंभीर रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस इन्फेक्शन की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती थे। आश्चर्य से यह देखा गया कि 65 साल से छोटे लोगों में मोटापे की समस्या ज्यादा थी।
मोटापा, पहले से ही एक वैश्विक महामारी है
अन्हेल्थी प्रोसेस्स्ड और पोषक तत्व घने खाद्य पदार्थों की खपत में वृद्धि और शारीरिक कामकाज में कमी होने के कारण पिछले 50 सालों में दुनिया भर में एक मोटापे की महामारी फैल गई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2016 में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 1.9 बिलियन से अधिक वयस्क (एडल्ट) मोटापे से पीड़ित थे। इनमें से कम से कम 650 मिलियन लोग बहुत ज्यादा मोटे थे। वास्तव में 1975 और 2016 के बीच दुनिया भर में मोटापा लगभग तीन गुना बढ़ा है।