

तड़के 5 बजे पहुंचा प्रशासनिक और निगम अमला, भारी पुलिस बल किया तैनात, गार्डन, पार्किंग सहित नदी के घाट बनेंगे
माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
वर्षों से अतिक्रमणकारियों के कब्जे में बेशकीमती जमीन पर बनी दुकानों को हटाने की मुहिम तड़के 5 बजे प्रशासन और पुलिस की टीम ने नगर निगम के साथ मिलकर शुरू कर दी है। दुकानदारों को सप्ताह भर पूर्व नोटिस जारी किया जा चुका था।
हरीफाटक फोरलेन मार्ग पर बने वाकणकर ब्रिज के पास शासकीय भूमि पर पिछले 15 वर्षों से डेढ़ सौ से अधिक लोगों ने कब्जा कर दुकानें बना ली थी। प्रशासन लगातार शासकीय बेशकीमती भूमि को मुक्त कराने के प्रयास में लगा हुआ था। अतिक्रमण करने वाले न्यायालय पहुंच गए थे जहां से स्टे लेकर आया गया था। 45 दिन की मिली मोहलत के दौरान दुकानदारों ने खुद ही अतिक्रमण हटाने की बात कही थी। जिसकी अवधि 16 अगस्त को खत्म हो गई थी। प्रशासन ने दुकानें हटाने के लिए 7 दिन पूर्व नोटिस जारी कर दिया था। समयावधि समाप्त होने के बाद आज सुबह एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी, एएसपी अमरेंद्र सिंह नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल पांच थानों की पुलिस और नगर निगम अतिक्रमण गैंग के साथ मौके पर पहुंच गया। तड़के 5 बजे हरी फाटक ब्रिज के आसपास जेसीबी के साथ प्रशासनिक अमले की गाडिय़ां खड़ी देख लोग हैरत में पड़ गए। जिस स्थान से अतिक्रमण हटाया जाना था उस मार्ग को बंद कर दिया गया था। 1 घंटे के दिशा निर्देश के बाद नगर निगम की टीम ने सुबह 6 बजे से अवैध दुकानों को हटाने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान कोई विरोध के लिए सामने भी नहीं आ पाया। कार्यवाही के दौरान नगर निगम उपायुक्त पीयूष भार्गव, सुबोध कुमार जैन, कल्याणी पाण्डेय, एसडीएम जगदीश मेहरा, सीएसपी वंदना चौहान, पल्लवी शुक्ला, नीलम बघेल, सचिन परते, श्रीकांत शर्मा, थाना प्रभारी ओपी अहिर, तरुण कुरील, गजेन्द्र पचोरिया, महेन्द्र मकाश्रे, पृथ्वीसिंह खलाटे, रवीन्द्र कटारे, जीवन भिंडोरे मौजूद रहे।

2 हेक्टेयर करीब है शासकीय भूमि
नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल ने बताया कि शासकीय भूमि 2 हेक्टर के करीब है। जो मास्टर प्लान और स्मार्ट सिटी के तहत पहले से ही चिन्हित है। इस भूमि पर गार्डन, वाकर, जोन पार्किंग बनाया जाना है। शिप्रा नदी से लगी भूमि ग्रीन बेल्ट एरिया की भी है। जिसे अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने के बाद यहां होने वाले निर्माण कार्यों को शुरू कराया जाएगा।
कलेक्टर के प्रयासों से फिर मिली सफलता
शहर में कई स्थानों पर लोगों ने सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण कायम कर रखा था। बेशकीमती सरकारी जमीनें मुक्त कराने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने मुहिम शुरू की तो करोड़ों की जमीनें प्रशासन के अधीन आ गई। कुछ दिनों पूर्व नरेश जीनिंग फे क्ट्री को भी जिला प्रशासन ने अतिक्रमण मुक्त कराया था।

इन दुकानदारों का था कब्जा
बेशकीमती शासकीय जमीन पर गैरेज संचालित करने वाले, लोहे की अलमारियां बनाने वाले, ट्रेवल्स एजेंसी संचालक, पान चाय की गुमटी लगाने वालों ने कब्जा कर रखा था। पूर्व में यहां बड़ी आगजनी भी होना सामने आई थी। काफी लंबे समय से प्रशासन भूमि को मुक्त कराने के प्रयास में लगा था। कब्जा धारी भूमि खाली करने को तैयार नहीं थे उन्होंने न्यायालय से स्टे आर्डर प्राप्त कर लिया था। न्यायालय के आदेश पर प्रशासन ने भूमि को अतिक्रमण कार्यों से मुक्त कराने की कार्रवाई शुरू की है।
प्रशासन ने 7 दिन पहले दिया था नोटिस
कब्जा हटाने के लिए इन्हें कई बार नोटिस दिए गए। इसके बाद अतिक्रमण करने वाले संचालक हाइकोर्ट चले गए थे। हाइकोर्ट ने 30 जून को अतिक्रमण तोडऩे के आदेश दे दिए थे। हाइकोर्ट के आदेश के बाद संचालकों ने प्रशासन से 45 दिन का समय मांग कर खुद ही अतिक्रमण हटाने की बात कही थी। इनकी समय सीमा 16 अगस्त को खत्म हो गई थी। तब प्रशासन ने सभी 150 अतिक्रमणकारियों को 7 दिन में जगह खाली करने का नोटिस दिया था। ताकि लोग अपना सामान हटा लें। लेकिन किसी ने भी अतिक्रमण नहीं हटाया। सात दिन की समय सीमा खत्म होने के बाद शुक्रवार को प्रशासनिक अमले ने सभी अतिक्रमण जमींदोज कर यह जमीन अतिक्रमण से मुक्त करा दी।