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सर्वपितृ अमावस्या: पूर्वजों का तर्पण करने राम घाट पहुंचे श्रद्धालु

कल चतुर्दशी पर सिद्धवट पहुंचकर चढ़ाया था दूध
माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन

श्राद्ध पक्ष में 16 दिनों तक पूर्वजों को याद कर तर्पण और पिंड दान करने का समापन आज सर्वपितृ अमावस्या को हो रहा है। सुबह से ही पूर्वजों को याद करते हुए श्रद्धालु रामघाट पहुंचने लगे थे। जहां तर्पण पिंडदान के साथ नहान का सिलसिला जारी है। इस बार कम संख्या में श्रद्धालु रामघाट पहुंचे हैं।

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16 दिनों तक श्राद्ध पक्ष में हिंदू संप्रदाय द्वारा अपने पूर्वजों को याद कर तर्पण किया जाता है जिसका आज सर्वपितृ अमावस्या के साथ समापन हो रहा है। जो लोग 16 दिनों तक अपने पूर्वजों को याद कर उनके अधूरे कामों को पूरा नहीं कर पाते वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन रामघाट पहुंचकर तर्पण और पिंडदान कर उनकी आत्मा शांति के लिए पूजा अर्चना करते हैं। आज सुबह से रामघाट पर पूर्वजों को याद करने वाले श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। पंडे-पुजारियों द्वारा श्रद्धालुओं के पूर्वजों का तर्पण पिंडदान धार्मिक विधि-विधान से पूरा करा रहे थे। श्रद्धालुओं द्वारा आस्था का नहान भी शिप्रा नदी में किया जा रहा है। रामघाट के साथ ही सिद्धवट और गया कोटा पर भी सर्वपितृ अमावस्या पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला आज भी जारी है। 16 दिनों तक गयाकोटा और सिद्धवट पर श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों की याद में तर्पण पूजा अर्चना की थी।
कल श्राद्धपक्ष की चतुर्दशी पर चढ़ाया था दूध


आज सर्वपितृ अमावस्या से 1 दिन पहले बुधवार को सिद्धवट पर श्रद्धालु चतुर्दशी होने के चलते दूध चढ़ाने पहुंचे थे। सुबह से लेकर देर शाम तक दूध चढ़ाने का सिलसिला जारी रहा था। चतुर्दशी और सर्वपितृ अमावस्या पर श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए जिला और पुलिस प्रशासन ने पहले से ही अपने सुरक्षा के इंतजामों को पुख्ता कर लिया था। आज सुबह से सिद्धवट गया कोटा और रामघाट पर पुलिस की मौजूदगी नजर आ रही थी। शिप्रा नदी का जलस्तर बढ़ा होने पर गोताखोरों की तैनाती भी की गई थी।
श्रद्धालुओं की कम रही संख्या
कोरोना संक्रमण काल के चलते इस बार सर्वपितृ अमावस्या के अवसर पर तर्पण एवं पिण्डदान करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम नजर आ रही है। हर वर्ष शहर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों से श्रद्धालु पवित्र शिप्रा नदी पर पूर्वजों की याद में तर्पण और पूजा अर्चना करने के लिए यहां पहुंचते थे। लेकिन इस बार नजारा कुछ बदला हुआ है। 16 दिनों तक गयाकोटा और सिद्धवट घाट पर भी श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी गई है। प्रतिवर्ष गयाकोटा और सिद्धवट पर श्रद्धालुओं की लंबी कतार दिखाई देती थी। जिला एवं पुलिस प्रशासन को विशेष व्यवस्था करनी पड़ती थी। लेकिन कोरोना संक्रमण ने धार्मिक आस्थाओं को प्रभावित किया है।

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