नई दिल्ली। हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित करवाए गए कृषि बिलों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में किसानों के हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये बिल कानून बन गए हैं।
संसद ने हाल में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को पारित किया है, जिस का किसानों के अलावा कांग्रेस समेत विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।
बिलों पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा में अभूतपूर्व हंगामा हुआ था। टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन सहित विपक्ष के कई नेताओं ने बिल की कॉपी फाड़ दी और आसन के माइक को भी तोड़ डाला था। इसके बाद, राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू ने आठ सांसदों को सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
वहीं, संसद से पारित होने के बाद कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुरोध किया था कि वह इन प्रस्तावित कानूनों पर हस्ताक्षर नहीं करें। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। कांग्रेस, वाम दलों, राकांपा, द्रमुक, सपा, तृणमूल कांग्रेस और राजद सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में इस मामले में उनसे हस्तक्षेप करने और विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का अनुरोध किया। वहीं, बिलों के विरोध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाब नबी आजाद ने विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात भी की थी।