उज्जैन। जल संकट के मुंह आने पर पहुंच चुकी धार्मिक नगरी में अगस्त सितंबर माह की बारिश के बाद औसतन बारिश का आंकड़ा पूरा होने के साथ जमीन का जल स्तर भी बढ़ गया है। जिसके चलते ट्यूबेल से अपने आप पानी निकल रहा है।
गणेशोत्सव से पहले अगस्त माह में अचानक 2 दिनों की झमाझम बारिश से शिप्रा नदी में बाढ़ आ गई थी और निचली बस्तियों में रहने वाले लोग मुसीबत में फंस गए थे। इससे पहले धार्मिक नगरी जल संकट के मुहाने पर खड़ी नजर आ रही थी। 2 दिनों की बारिश ने चंद घंटों में वर्ष भर के पानी का संग्रह हो गया और जल संकट का खतरा पूरी तरह से मिट गया। उसके बाद से लगातार रुक-रुक कर बारिश होती रही और शिप्रा नदी में चार बार उफान दिखाई दिया। जून-जुलाई सूखा बीतने के बाद अगस्त सितंबर की बारिश ने औसतन आंकड़े को भी 36 इंच से 44 इंच के पार पहुंचा दिया। जिसके चलते जमीन का जलस्तर भी बढ़ चुका है। कुएं, बावड़ी और ट्यूबवेल मे भरपूर पानी नजर आ रहा है। ग्राम मंगरोला में जितेंद्र ठाकुर के खेत पर लगे ट्यूबवेल से अपने आप पानी निकल रहा है जिसे देखने के लिए ग्रामीण एकत्रित हो रहे हैं। शहर के कई कुएं और बावड़ीयों में भी पानी की आव काफी तेजी के साथ हो रही है। जिसके चलते वह लबालब नजर आ रहे हैं।
गुलाबी ठंड का होने लगा एहसास
लगातार बारिश होने और औसतन बारिश का आंकड़ा पूरा होने के बाद रात के समय हल्की गुलाबी ठंड का एहसास होने लगा है। वैसे दिन में हल्की उमस महसूस की जा रही है लेकिन रात के समय ठंडक बनी हुई है जिसके चलते न्यूनतम तापमान भी 3 डिग्री कम हो चुका है। जीवाजीराव वेधशाला के अनुसार रविवार सोमवार रात न्यूनतम तापमान 21 डिग्री दर्ज किया गया है। इससे पहले न्यूनतम तापमान 24 से 25 डिग्री पहुंच चुका था। रविवार को अधिकतम तापमान में भी 2 डिग्री की कमी दर्ज की गई है।