
लखनऊ। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए राजधानी लखनऊ के अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल ने बुधवार को ढाई वर्षीय बच्चे के सिर की एक जटिल सर्जरी कर कृत्रिम हड्डी को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया। यह पोरस पालीइथीलीन इंप्लांट, परंपरागत टाइटेनियम इंप्लांट के मुकाबले अधिक लचीला है। इसके लगने से बच्चे की उम्र बढऩे के साथ सिर का आकार बढऩे से कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि इंप्लांट भी सिर के आकार में परिवर्तन के साथ एडजस्ट होता जाएगा।
इस सर्जरी के सफल होने पर अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के सीईओ और एमडी डा. मयंक सोमानी ने कहा, अपोलोमेडिक्स में हमारी टीम अल्ट्रा-माडर्न मेडिकल टेक्नोलाजी का उपयोग कर मरीजों को बेहतर और सुगम सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तत्पर एवं प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस सर्जरी में सबसे बड़ी चुनौती बच्चे की कम उम्र थी। हमारी न्यूरो सर्जरी की टीम ने सफलतापूर्वक इस सर्जरी को अंजाम दिया।
अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डा. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि एक वर्ष की उम्र में बच्चे के सिर पर लगी चोट से हड्डी को नुकसान पहुंचा था। उस दौरान भी बच्चा कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहा। सिर की हड्डी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण उसे सही नहीं किया जा सकता था।
इसके बाद हमने इस सर्जरी के बारे में विचार किया। हमारी टीम में शामिल डा. सुनील सिंह और डा. प्रार्थना सक्सेना ने बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री ली। ऐसे मामलों में अमूमन टाइटेनियम का स्कल इंप्लांट का प्रयोग होता है। लेकिन आगे चलकर बच्चे की उम्र के साथ शारीरिक बदलाव आते और टाइटेनियम इम्प्लांट का आकार न बढऩे से बच्चे के सिर में गड्ढा होने का खतरा बना रहता। ऐसे में हमने मेडपोर इंप्लांट का प्रयोग किया जो पोरस पालीइथीलीन इंप्लांट है और उम्र के साथ यह बढ़ते स्कल के आकार के अनुरूप अपने को एडजस्ट कर लेता है।