
बैंक भी झाड़ रही पल्ला, सिक्के न लेना कानूनन अपराध
माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
शहर की दुकानों पर सिक्को की भरमार आ गई है। कभी-कभी छुट्टे के चक्कर में बड़े नोट तुड़ाने पड़ते हैं। लेकिन बाद में यह स्थिति हो जाती है, कि उस चिल्लर को लेने से ही व्यापारी इंकार करने लगते हैं। छोटे व्यापारियों के यहां थैलियां भर-भर के सिक्के इक_े हो गए। एक-दो रुपए के सिक्कों से भरी थैलियों को कहीं ले जा भी नहीं सकते। बैंक भी कभी तो ये सिक्के ले लेती हैं, और कभी इंकार कर देती हैं। इस वजह से आम लोगों की परेशानी बढ़ रही है।
बाजार में इन दिनों सिक्कों की भरमार है। एक-दो और पांच-दस के सिक्के बहुतायत में हैं। सबसे ज्यादा परेशानी एक-दो रुपए के सिक्कों को लेकर है। बड़ी दुकानों से सामान लेने पर छुट्टे रुपयों के बदले टॉफी, बिस्किट पैकेट भी दे दिए जाते हैं। सब्जी वाले, रिक्शा वाले और गलियों में फेरी लगाने वाले भी सिक्के लेने से इंकार करते हैं। बाजार में भी कई दुकानों पर सिक्कों के कारण व्यापारी सामान तक देने से मना कर देते हैं। व्यापारियों की मानें तो एक-दो रुपए के सिक्के नहीं लेने से महंगाई तेजी से बढ़ती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में वस्तुओं के भाव 5 या 10 के फिगर में चले जाते हैं। कुछ स्थानों पर वस्तुओं के दाम 6, 7, 8, 9, 12, 14, 16 रुपए इस प्रकार के होते हैं, जहां एक-दो रुपयों की जरूरत होती है, लेकिन कई जगहों पर 10, 15, 20 ऐसे फिगर में लेनदेन होता है, यहां परेशानी कम होती है। रेट के इस कुचक्र को यदि तोडऩा है, तो 1 या 2 के सिक्के स्वीकार करना होंगे। अन्यथा वस्तुओं के दाम ऐसे ही बढ़ते रहेंगे।
पहले पूछते हैं ग्राहक से की नोट ही लाए हो ना
इधर बैंक व्यापारियों को एक बार जमा करने पर 100 सिक्के लेने का नियम बताकर मनाकर देती है। कई खेरची दुकानदार इतने परेशान हो गए हैं कि ग्राहक से पूछते हैं नोट ही लाए हो ना…दरअसल नोटबंदी के बाद से सरकार चाहती हैं लोग डिजिटल मॉड्स से पेमेंट करें और बाजार में नकदी फ्लो कम हो। वहीं खेरची व्यापारियों और जनता के बीच नकदी कम नहीं हो रही है। शहर के दुकानदार चिल्लर लेने से मना कर भारतीय मुद्रा का अपमान कर रहे हैं। जब दुकान पर ग्राहक खुल्ले रुपए लेकर कुछ सामान खरीदने जाता है तो दुकानदार चिल्लर लेने से मना कर देते हैं। नगर में सब्जी वाले, दूध वाले से लेकर प्रोविजन स्टोर, मेडिकल स्टोर, किराना व्यापारी, पेट्रोल पंप व अन्य विक्रेता चिल्लर लेने में आना-कानी कर रहे हैं। इससे आमजन को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वहीं जिम्मेदारों को इसकी परवाह नहीं हैं। आरबीआई द्वारा जारी छोटे सिक्के, चिल्लर को कुछ दुकानदार लेने से मना कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना हैं न तो चिल्लर बैंक लेता है ना ही एजेंट। यदि एजेंट को चिल्लर देते हैं तो वह उसे कमीशन पर लेता है।
बैंक ही झाड़ रही पल्ला
बाजार में मुद्रा का चलन बैंक के जरिए ही होता है, लेकिन सिक्कों के लेन-देन को लेकर चल रही इस स्थिति में सबसे ज्यादा पल्ला बैंक ही झाड़ रही हैं। नियमानुसार बैंक अपने खाताधारक से सिक्के लेने से मना नहीं कर सकता। बैंक अधिकारी भी इसे स्वीकार करते हैं, लेकिन वे अपनी व्यवहारिक परेशानियां जैसे कर्मचारियों की कमी और सिक्कों को गिनने में लगने वाले समय की बात का तर्क देते हैं। कई बार बैंकों में विवाद की स्थिति भी बन रही हैं।
पहले मिलती थी 100 रुपए की चिल्लर 110 रुपए में
सूत्रों के अनुसार 2018 से पहले तक यह हालत थी कि चिल्लर 100 रुपए की मांगने पर 110 रुपए लिए जाते थे। सिक्के बंद होने की अफवाह से बाजार में कारोबारियों के पास चिल्लर के ढेर लग गए। चिल्लर देने वालों ने चिल्लर धंधा शुरु कर दिया था। बैंक अधिकारियों का कहना हैं चिल्लर बाजार में सर्कुलेट करने के लिए दी गई थी। जमाखोरी कर मुनाफा कमाने वालों ने बाजार में यह स्थिति बना दी है। दूसरी ओर बैंकों में पुराने सौ-सौ के नोट की भी भरमार है। एटीएम में इसका अनुपात बढ़ा दिया गया है। 2000 और 500 के नोट एटीएम से कम ही मिल रहे हैं।
सिक्के न लेना कानूनन अपराध
यदि कोई भी व्यक्ति और दुकानदार सिक्के लेने से इनकार करता है तो वह भारतीय मुद्रा का अपमान है। ऐसा करने पर उसकी शिकायत संबंधित बैंक या पुलिस से कर सकते हैं। भारतीय मुद्रा का बहिष्कार करने पर उसे कड़ी सजा का प्रावधान और 20 हजार रुपए का जुर्माना या फिर दोनों सजा भी हो सकती है।
इनका कहना है
में दुकानदार के पास एक-दो के सिक्के लेकर सामान लेने गया था, लेकिन दुकानदार ने सिक्के लेने से मना कर दिया और मुझे सामान भी नहीं दिया। बाद में घर से नोट ले जाकर सामान लेकर आया हूं। एक-दो रुपये का सामान लेने पर भी दुकानदार सिक्के नहीं ले रहे हैं, जिससे उन्हें काफी परेशान होना पड़ रहा है।
श्रीपत कुशवाह, ग्राहक