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सोसायटी प्रबंधक की हरकतों से ग्रामीण हो रहे परेशान

कार्य समय में संस्था से गायब रहने वालों पर सख्त कार्रवाई जरूरी

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शाजापुर (मंगल नाहर)। कहने को तो सरकार ने ग्रामीण अंचलों में प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाएं शुरू कर, ग्रामीण कृषकों को सुविधा देने की सकारात्मक पहल की है लेकिन हकीकत में यह संस्थाएं स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सुविधा देने के बजाय उनकी समस्या का कारण अधिक बनती दिखाई दे रही है। इसके पीछे मुख्य कारण यहां सालों से जमें एसे संस्था प्रबंधक बने हुए हैं जो अपने काम से ज्यादा आराम को महत्व देकर ड्यूटी के नाम पर महज औपचारिकता निभाते नजर आते हैं।

खाद वितरण, शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के संचालन, फसलों के ॠण व बीमा राशि देने सहित अन्य कृषि कार्यों के लिए गांव में संचालित प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं में गड़बड़ी ओर अनियमितताओं की खबरें आए दिन सुर्खियां बटोरती नजर आती है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि यहां जिम्मेदारों के रूप में पदस्थ प्रबंधकों की कारगुजारियों को देखने-सुनने वाला कोई नहीं होता ओर इनकी हरकतों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी जिन कंधों पर होती है वो भी इन पर ध्यान देना उचित नहीं समझते। परिणाम स्वरूप निरंकुश प्रबंधक अपनी मनमानी करके संस्था से जुड़े किसानों के लिए परेशानी खड़ी करना शुरू कर देते हैं। काम में लापरवाही बरतकर ग्रामीणों के लिए असुविधा पैदा करने वालों में इन दिनों ग्राम करजू सोसायटी का नाम खासा सुर्खियों में है। यहां के प्रबंधक कार्य समय के दौरान संस्था में कम, अपने व्यक्तिगत कामों में ज्यादा व्यस्त रहते हैं। यही कारण है कि सोसायटी खुलने के बाद उनकी कुर्सी अधिकतर खाली ही मिलती है ओर यहां मौजूद कर्मचारी भी इनकी गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर समय पास करते नजर आते हैं। इस संबंध में ग्रामीणों से बार-बार मिल रही शिकायतों को देखते हुए शुक्रवार को सांध्य दैनिक माटी की महिमा की टीम ने स्वयं गांव में जाकर हकीकत जानने का प्रयास किया। दोपहर करीब 1 बजे आकस्मिक जायजा लेने संस्था में पहुंची टीम को जो जमीनी हाल देखने को मिला वो वाकई में अचंभित करने वाला था। ग्रामीणों के कहे मुताबिक प्रबंधक संस्था से नदारद ही मिले जिनकी गैर मौजूदगी की पड़ताल करने पर पता चला कि वे किसी निजी काम के कारण संस्था में नहीं आए। जो कर्मचारी संस्था में मौजूद थे वो भी बिना मास्क लगाए केवल समय पास कर रहे थे। इस दौरान यहां आए ग्रामीणों में भी मास्क ओर उचित दूरी के नियमों का पालन करता कोई नजर नहीं आया। जब संस्था प्रबंधक को फोन लगाकर संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल भी बंद आया। जिसके बाद ग्रामीणों की शिकायत पर सच्चाई की मोहर भी लग गई। इधर इस बारे में शिकायतकर्ता ग्रामीणों का कहना था कि संस्था से गायब रहने वाले ये महाशय अपना मोबाइल हमेशा इसी तरह बंद कर लेते हैं ओर अपने काम के लिए संस्था में आने वाले किसान परेशान होते रहते हैं। इसके बाद टीम ने संस्था के प्रशासक को वास्तविक स्थिति से अवगत करवाते हुए लापरवाह प्रबंधक की हकीकत बताई जिस पर प्रशासक ने सोसायटी में पदस्थ एसे सभी लापरवाह प्रबंधकों द्वारा कार्य समय के दौरान गैरहाजिर रहने पर किसानों से पंचनामा बनाकर वरिष्ठ कार्यालय को भेजने की बात कही ताकि इन निकम्मों पर नियमानुसार कार्रवाई हो सके।

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