कार्तिक मास के प्रथम सोमवार पर परंपरागत मार्ग से निकली सवारी
माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
कार्तिक-अगहन मास के प्रथम सोमवार को बाबा महाकाल भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। इस बार बाबा की 6 सवारी नगर भ्रमण के लिए निकलेंगी। प्रथम सोमवार पर बाबा के दर्शन करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा था। वहीं परंपरागत मार्ग से निकली सवारी के दौरान हरिहर मिलन का भी नजारा दिखाई दिया।

श्रावण भादौ मास के साथ ही बाबा महाकाल कार्तिक-अगहन मास में नगर भ्रमण कर भक्तों को दर्शन देने के लिए पालकी में सवार होकर मंदिर से शिप्रा नदी स्थित रामघाट पहुंचते हैं। सोमवार को कार्तिक मास की प्रथम सवारी निकाली गई। श्रावण-भादौ मास कोरोना संक्रमण काल में गुजरने के चलते बाबा महाकाल की सवारी का मार्ग जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन ने बदलकर छोटा कर दिया था। लेकिन कार्तिक मास के प्रथम सोमवार पर बाबा की सवारी परंपरागत मार्ग से निकाली गई। जो रामघाट से लौटते समय गोपाल मंदिर से होकर गुजरी। इस दौरान हरिहर मिलन का अद्भुत नजारा दिखाई दिया। कार्तिक मास की प्रथम सवारी होने पर श्रद्धालु भी बाबा के दर्शन के लिए सवारी मार्ग पर एकत्रित हुए थे। कार्तिक और अगहन मास में इस बार बाबा की 6 सवारी नगर भ्रमण पर निकलेंगी। 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या के महासंयोग में कार्तिक-अगहन मास की शाही सवारी निकाली जाएगी।

अचानक तय हुआ सवारी मार्ग
कार्तिक अगहन मास में निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी को लेकर लोगों में यही चर्चा बनी हुई थी कि श्रावण-भादौ मास की तर्ज पर बाबा की सवारी का मार्ग महाकाल मंदिर से हरसिद्धि की पाल होते हुए रामघाट का रहेगा। लेकिन अचानक मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन ने कार्तिक मास की प्रथम सवारी परंपरागत मार्ग से निकालने का निर्णय ले लिया। जिसके चलते श्रद्धालुओं में उत्साह देखा गया।
वैकुंठ चतुर्दशी पर हरि-हर मिलन
कार्तिक मास की वैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर को होगी। इस दिन देव उठनी एकादशी का पर्व भी बनाया जाएगा। वैकुंठ चतुर्दशी पर बाबा महाकाल हरि से मिलन के लिए गोपाल मंदिर पहुंचेंगे। हरि-हर मिलन की यह परंपरा वर्षों से बनी हुई है। वैकुंठ चतुर्दशी पर हरि को सृष्टि का भार सौंपकर हर कैलाश पर्वत का रूख कर लेंगे। इस अद्भुत मिलन का नजारा श्रद्धालुओं को हर वर्ष अभिभूत करता है।