घातक चाइना डोर पर अभी से जिला और पुलिस प्रशासन को रखना होगी नजर
माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
दिसंबर माह की शुरुआत हो चुकी है। 42 दिन बाद पतंगबाजी का पर्व मकर संक्रांति मनाया जाना है। बाजार में दुकाने लगने लगी है बच्चों ने भी पतंगबाजी शुरू कर दी है। कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में अवकाश बना हुआ है। बच्चे दिन भर पतंगबाजी का लुफ्त उठा रहे हैं।
14 जनवरी को धार्मिक आस्था के साथ पतंगबाजी का पर्व मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक नगरी में पतंगबाजी का अपना अलग ही मजा है । डेढ़ माह पूर्व से ही पतंगबाजी की शुरुआत हो जाती है जो अब बाजार और आसमान में दिखाई देने लगी है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में काफी लंबा अवकाश चल रहा है। सुबह के समय ऑनलाइन अध्ययन करने के बाद बच्चे दिन भर पतंगबाजी का मजा लेने लगे हैं। पतंग का मुख्य बाजार तोपखाना क्षेत्र में लगता है जहां पतंगों की दुकाने लग चुकी है। दिसंबर माह के अंतिम दिन जैसे-जैसे करीब आते जाएंगे वैसे वैसे पतंग बाजी का माहौल बढ़ता चला जाएगा। आसमान में रंग बिरंगी पतंगों से सजना और काटा है कि आवाजें सुनाई देना शुरू हो जाएगी। व्यवसाय करने वालों ने पतंग बनाने का काम शुरू कर दिया है। प्रतिवर्ष पतंग का कारोबार करोड़ों में होना सामने आता है। तोपखाना से लेकर शहीद पार्क, गोपाल मंदिर क्षेत्र में बाजार लगाया जाता है वही शहर घर के गली मोहल्लों में पतंग दुकाने लगाई जाती है।
घातक डोर पर रखना होगी नजर
पिछले कुछ वर्षों से पतंगबाजी के लिए घातक चाइना डोर का उपयोग होना सामने आ रहा है जिसकी वजह से घटना दुर्घटनाओं के कई मामले सामने आ चुके हैं। 3 वर्षों से चाइना डोर पर जिला प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया जा चुका है । बावजूद चोरी छुपे डोर बेचने का काम होता रहा है। जिला प्रशासन को अभी से ही घातक डोर के खिलाफ अभियान की शुरुआत करना होगी ताकि आने वाले दिनों में घटना दुर्घटना के मामले सामने ना आ पाए। यह घातक डोर हजारों पक्षियों की जान भी ले चुकी है।
अभिभावकों को भी रहना होगा जागरूक
उत्साह और उमंग के पर्व मकर संक्रांति पर होने वाली पतंगबाजी का क्रम शुरू हो चुका है जिसको लेकर अभिभावकों को भी जागरूक रहना होगा। पतंगबाजी करते समय और पतंग कटने के बाद बच्चे बेखौफ होकर सड़कों और छतों पर दौड़ लगाते हैं जिससे घटना दुर्घटना होना सामने आती है। पतंगबाजी के दौरान इस तरह की घटनाएं ना हो जिसका ध्यान रखने की आवश्यकता अभिभावकों की ही रहती है।