भोपाल । सरकार का सबसे बड़ा आर्थिक सहारा शराब और रेत ने भी संकट के दौर में साथ छोड़ दिया है। पिछले साढ़े तीन महीने में सरकार को शराब से करीब तीन हजार करोड़ तो रेत से 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जबकि व्यवस्थाएं अभी भी पटरी पर नहीं हैं। शराब के लिए वाणिज्यिक कर विभाग को ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं तो छह महीने पहले रेत खदानें ले चुके ठेकेदार उत्खनन शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में भी सरकार के आर्थिक हालात सुधरने की उम्मीद कम है। ऐसे में जरूरी विकास कार्य ठप होने की आशंका है।
कोरोना संकट झेल रही सरकार को शराब ठेकेदारों ने बड़ा झटका दिया है। 25 फीसद राशि कम नहीं करने पर ठेकेदारों ने करीब 1700 दुकानें छोड़ी हैं। अब इनमें से सैकड़ा भर दुकानें कोई लेने को तैयार नहीं है। हालात यह हैं कि सरकार को कम अवधि (एक हफ्ते) के ठेके देने का निर्णय लेना पड़ा।
इतना ही नहीं, सरकार ठेका राशि के 80 फीसद पर भी दुकानें सौंपने को तैयार है पर लेने वाले नहीं मिल रहे। जो ठेकेदार दुकानों में रुचि दिखा रहे हैं, वे टेंडर में 43 से 50 फीसद राशि भर रहे हैं। वाणिज्यिक कर विभाग को अपेक्षा से कम बोली लगने पर भोपाल सहित 17 जिलों में टेंडर प्रक्रिया रोकनी पड़ी है। इन जिलों में फिर से टेंडर बुलाए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 3605 देशी-विदेशी शराब दुकानें हैं। इनमें से करीब एक हजार शराब दुकानें अब भी बंद हैं। इस कारण सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। राजस्व में 25 फीसद कटौती की थी मांग शराब दुकानें छोडऩे वाले बड़े कारोबारी लॉकडाउन अवधि में दुकानें बंद रहने के कारण राजस्व में 25 फीसद कटौती की मांग कर रहे थे। इसके लिए सरकार तैयार नहीं हुई।