हनुमान मंदिरों में आकर्षक शृंगार के साथ विद्युत सज्जा, कोरोना के कारण कई जगह सादगी से मनाया जा रहा पर्व, कई जगह होंगे भंडारे
उज्ज्ैन/रू्यरू हृश्वङ्खस्
हनुमान अष्टमी पर्व आज शहर में कोरोना के कारण सादगी के साथ मनाया जा रहा है। महाकाल की नगरी में बाबा हनुमानजी महाराज का डंका गूंज रहा है। शहर की चारों दिशाओं की रक्षा करने के लिए हनुमान मंदिरों की स्थापना हुई थी, इसलिए यहां 108 हनुमान मंदिर हैं। स्कंदपुराण के अवंतिका खंड में उल्लेख भी मिलता है, यही वजह है कि हनुमान अष्टमी का पर्व केवल उज्जैन में ही मनाए जाने की परंपरा है। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार कई जगह हनुमान मंदिरों में भंडारे नहीं होंगे और कई हनुमान मंदिरों से निकलने वाले चल समारोहों को भी निरस्त कर दिया गया है। हालांकि हनुमान मंदिरों में महाआरती के साथ प्रसादी वितरण हो रहा था।
ज्योतिषियों के अनुसार पौष मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी हनुमान अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। महाकाल की नगरी में रुद्र स्वरूप में भगवान हनुमान भी विराजमान है। मलमास के साथ यह महीना धनु संक्रांति का भी माना गया है। साथ ही सूर्य की साधना भी इस महीने में करने का विशेष महत्व है। इसी महीने में संयोग से हनुमान अष्टमी भी आती है। यहां पर 108 हनुमान यात्रा का विधान है, जो शक्ति का अंश मानकर की जाती है। इससे मानसिक, शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। इस माह में ऋतु परिवर्तन का विधान है। इससे सूर्य और हनुमानजी की आराधना करने से लाभ मिलता है। अवंतिका में हनुमानजी की चैतन्य मूर्तियों के अनेक स्थान है। हनुमंतकेश्वर 84 महादेवों में शामिल है। इस बार हनुमान अष्टमी आयुष्मान योग के साथ आ रही है।

वनखंडी हनुमान सजे राजसी रूप में
हनुमान अष्टमी के अवसर पर श्री वनखंडी हनुमान मंदिर सुदामानगर में बाबा को चांदी का मुकुट पहनाकर राजसी रूप में शृंगार किया गया। वहीं बिनोद मिल परिसर में स्थित उत्तरामुखी दास हनुमान बाबा का आकर्षक शृंगार कर सुबह से नुक्ती का प्रसाद वितरण शुरू किया जो शाम तक चलता रहेगा। इस अवसर पर दोनों मंदिरों की रंगाई-पुताई कर आकर्षक विद्युत साज-सज्जा की गई है।

श्री खेड़ापति हनुमान मन्दिर
निकास चौराहा पर अति प्राचीन श्री खेड़ापति हनुमान मन्दिर पर आज प्रात:कालीन अभिषेक-पूजन, चोला श्रृंगार उपरांत भजन-कीर्तन हुए। पुजारी पं.घोटू गुरू के अनुसार आज सांध्यकालीन आरती 7 बजे ढोल की धुन के बीच मंत्रोच्चार के साथ की जाकर चुरमा महाप्रसादी का भोग अर्पित किया जायेगा तथा श्रद्धालुओं को चलायमान रूप में प्रसादी वितरण भी किया जायेगा। इस अवसर पर 10 लाख श्रीराम नाम लिखने वाली महिला श्रद्धालु रमा शर्मा द्वारा श्रीराम नाम लिखित पुस्तिकाएं भगवान के दरबार में समर्पित की जाएगी।
खेड़ापति मन्दिर पर चुरमा भजिये का भोग
भैरवगढ़ जेल तिराहा स्थित श्री खेड़ापति हनुमान मन्दिर पर तीन दिवसीय हनुमान अष्टमी उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मंदिर पुजारी पं.रामा गुरू के अनुसार अखण्ड रामायण पाठ की आज रात्रि 8 बजे पुर्णाहुति होगी। आज प्रात: हनुमानजी का चित्ताकर्षक श्रृंगार महाआरती कर 11 क्विंटल चुरमा व भजिया महाप्रसादी का भोग लगाकर वितरण किया जा रहा है।
चैतन्यवीर हनुमान का मनोहारी श्रृंगार
पानदरीबा स्थित श्री चैतन्यवीर हनुमान मंदिर पर हनुमान अष्टमी महापर्व आज उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। भक्त मण्डल के संजीव खन्ना बल्ला पहलवान के अनुसार कोविड-19 की गाईडलाईन के चलते इस वर्ष चल समारोह की अपेक्षा सादगीपूर्ण रूप से चल समारोह क्षेत्र में ही भ्रमण करेगा तथा चल समारोह उपरांत मंदिर पर महाआरती का आयोजन होगा व प्रसाद वितरण चलित रूप में किया जायेगा। बाबा श्री चैतन्य वीर का मनोहारी श्रृंगार किया गया
श्री वीराट हनुमान का अभिषेक
हरसिद्धि मंदिर के पीछे श्री वीराट हनुमान का हनुमान अष्टमी पर्व के उपलक्ष्य में 11 ब्राह्मणों के द्वारा मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक-पूजन किया गया। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विशाल लक्ष्मीकांत शुक्ल ने बताया कि दोपहर में श्री वीराट हनुमान का आकर्षक शृंगार होगा व शाम को महाआरती व सुंदरकांड के साथ प्रसादी वितरण किया जाएगा।
श्री मायापति हनुमान मंदिर
सामाजिक न्याय परिसर स्थित मायापुति हनुमान मंदिर पर तीन दिवसीय हनुमान अष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। पुजारी गणेश राय ने बताया कि बाबा का महारुद्राभिषेक व 1108 बिल्व पत्रों के साथ आरती की गई। आज सुबह 8 बजे हवन-आरती हुई। शाम 151 किलो दूध का वितरण होगा।
क्यों मनाई जाती है हनुमान अष्टमी
त्रेता युग में लंका युद्घ के समय जब अहिरावण भगवान राम-लक्ष्मण को पाताल ले जाकर उनकी बलि देना चाहता था, तब हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर भगवान को बंधन मुक्त किया था तथा पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका में आकर विश्राम किया। भगवान राम ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि आज के दिन पौष कृष्ण अष्टमी को जो भक्त तुम्हारा पूजन करेगा, उसे कष्टों से मुक्ति मिलेगी। तभी से यह पर्व उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। कहते हैं कि यह हनुमानजी का विजय उत्सव है। जब भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे थे और विजय उत्सव मनाया जा रहा था, तब श्रीराम ने कहा कि यह तो हनुमानजी की विजय है। साथ एक किवदंती भी प्रचलित है कि माता सीता को मांग मे सिंदूर लगाते देख हनुमान जी ने पूछा-माता आप यह सिंदूर क्यों लगाती हैं? तो सीता जी ने कहा-सिंदूर लगाने से तुम्हारे प्रभु प्रसन्ना होते हैं। तब हनुमान जी ने सोचा माता चुटकी भर सिंदूर माथे पर लगाती हैं तो प्रभु राम जी प्रसन्ना होते हैं तो क्यों न मैं अपने पूरे शरीर पर लगा लूं तो भगवान सदा मुझ पर प्रसन्ना रहेंगे। हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। वह दिन था पौष कृष्ण अष्टमी का था। राम जी के राज तिलक के समय गुरु वशिष्ट जी ने सब तीर्थों का जल लाने को हनुमान जी से कहा जब हनुमान जी ने विचार किया अवंतिका नगरी महाकाल में कोटि तीर्थ है सब तीर्थों का जल एक जगह ही मिल जाएगा इसलिए हनुमान जी महाराज पौष मास कृष्ण पक्ष अष्टमी को अवंतिका नगरी उज्जैन में पधारे इसलिए हनुमान अष्टमी का उत्सव उज्जैन में बनने लगा।
महिदपुर में श्री रणजीत हनुमान का हुआ आकर्षक शाृंगार
महिदपुर। चौक बाजार स्थित श्री रणजीत हनुमान मंदिर पर बुधवार को हनुमान अष्टमी का पर्व उत्साह से मनाया जा रहा है। आज सुबह प्रतिमा का आकर्षक श्रंगार किया गया। पर्व के चलते मंदिर पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। शाम को 7 बजे महाआरती होगी। जिसके बाद प्रसादी का वितरण किया जाएगा।