पगारखोर श्रम विभाग का निकम्मापन भी हो रहा उजागर
शाजापुर (मंगल नाहर)। वैसे तो बाल श्रम कानूनी अपराध है, जिसे रोकने के लिए शासन-प्रशासन तथा विभिन्न सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाएं आए दिन ताल ठोककर दावे करते हुए आसानी से नजर आ जाते हैं। लेकिन हकीकत में सड़कों पर बाल मजदूरी का तमाशा उनके दावों की पोल खोलने के जिंदा सबूत दे दिया करता है। बच्चों से मासूमियत छिनकर उनके हाथों में गेती-पावड़े थमाने वाला ताजा मामला शाजापुर जिला मुख्यालय का है। जहां चल रहे सीवरेज लाइन के काम में मासूम बच्चियों को लगाकर बाल श्रम कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस पर भी आश्चर्य की बात यह है कि जिम्मेदार श्रम विभाग के अधिकारी मामले में कोई उचित कार्रवाई करने के बजाय नियमों की दुहाई देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि इन दिनों नगर व क्षेत्र की छोटी-बड़ी होटलों और दुकानों पर खुलेआम बच्चों का श्रमिकों के तौर पर शोषण किया जा रहा है। बाल श्रम शोषण करने वालों के हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वह नियम- कायदों का मखोल बनाकर नन्हें हाथों में सख्त औजार देने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। इसी तरह के मामले में नगर में चल रहे सीवरेज लाइन के काम में 4-6 साल की उम्र की छोटी-छोटी बच्चियां सीसी रोड़ की खुदाई करते दिखाई दे रहीं हैं। शहर के वार्ड नं 02 में चल रहे काम के दौरान अपने माता-पिता के साथ काम पर लगे इन बाल मजदूरों को रोकने के लिए ना तो ठेकेदार ने कोई पहल की ना किसी सामाजिक संस्था ने इसके लिए कोई प्रयास किए। हालांकि को मामले की खबर मिलने के बाद प्रतिनिधि द्वारा जिम्मेदार श्रम विभाग को जरूर जानकारी दी गई लेकिन पगारखोरी तक सीमित श्रम विभाग के जिम्मेदार भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई करने में विफल रहे। इस घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि बाल श्रम कानून के नाम पर बच्चों को शोषण से बचाने के लिए तमाम नाटक-नौटंकी करने वालों की कागजी सफलता सड़कों पर शून्य ही है। श्रम विभाग को जानकारी ही नहीं है कि शहर में बाल मजदूरी होती है या नहीं, जिम्मेदारों ने कभी इस संबंध में कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। ताकि शोषणकर्ताओ में किसी तरह का भय पैदा हो। परिणाम स्वरूप मासूमियत की शोषण का खेल खुलेआम जारी है। इसके साथ ही सीवरेज कार्य के ठेकेदार की मामले में लापरवाही भी यह साबित कर रही है कि ताबड़तोड़ काम खत्म करने की जल्दी में कानूनी नियमों की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है।
क्या कहता है बालश्रम कानून
बालश्रम (निषेध और नियमन) कानून 1986 – यह कानून 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह के शारिरीक श्रम की अनुमति नहीं देता। इसके तहत 13 पेशा और 57 प्रक्रियाएं हैं। इन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है।