माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
पुण्य सलीला शिप्रा नदी को स्वच्छ रखने की कवायद लगातार की जा रही है। बावजूद इसके आस्था लेकर आने वाले श्रद्धालु शिप्रा के स्वरूप को समझने की नासमझी कर रहे हैं। प्रतिदिन शिप्रा नदी से निर्माल्य सामग्री बाहर निकाली जा रही है।
शिप्रा नदी देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक है। सुबह से लेकर देर रात तक यहां श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं। शिप्रा नदी के घाटों पर कर्मकाण्ड के साथ पूजा-अर्चना भी पंडे-पुजारियों द्वारा कराई जाती है। श्रद्धालु यहां आस्था लेकर पहुंचते हैं और पूजा अर्चना की सामग्री को नदी में ही प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे शिप्रा का स्वरूप निखर नहीं पा रहा है। प्रतिदिन नगर निगम द्वारा शिप्रा से निर्माल्य सामग्री निकालकर घाटों पर एकत्रित की जाती है जिसे बाद में वाहनों के माध्यम से भरकर दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता है। विदित हो कि शिप्रा नदी को स्वच्छ बनाए रखने के लिए नगर निगम और स्थानीय प्रशासन द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। सामाजिक संस्थाएं भी इसमें भागीदारी कर रही हैं।
