शिप्रा तैराक दल के सदस्यों ने रामघाट पर दिया धरना
माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं को बचाने के लिए नदी में कूदा तैराक शिप्रा के आंचल में समा गया था। जिसको को लेकर आज सुबह रामघाट पर मां शिप्रा तैराक दल के सदस्यों ने धरना देकर जिला प्रशासन से मांग की कि तैराक पंकज उर्फ गंभीर को शहीद का दर्जा दिया जाए और पत्नी को सरकारी नौकरी।
बुधवार दोपहर शिप्रा नदी स्थित रामघाट पर महाराष्ट्र से आए श्रद्धालु नहान के दौरान गहरे पानी में चले गए थे। जिन्हें डूबता देख फोटोग्राफर और तैराक दल के सदस्य पंकज उर्फ गंभीर चावड़ा निवासी जयसिंहपुरा ने छलांग लगाकर दो लोगों की जान बचाई और उन्हें बाहर निकाला। इस दौरान वह शिप्रा की गहराई में खुद समा गया। उसे साथी तैराक दल के सदस्यों ने तलाश कर बाहर निकाला तो उसकी सांसें थम चुकी थी। पंकज 2002 से शिप्रा नदी पर डूबते श्रद्धालु और लोगों को बचाने के लिए हमेशा ही तैयार खड़ा रहता था। उसने सिंहस्थ में भी अपनी सेवाएं दी और हजारों लोगों की जान बचाई। अचानक उसके इस तरह चले जाने से शिप्रा तैराक दल के सदस्यों ने आज सुबह रामघाट पर धरना देते हुए जिला प्रशासन के समक्ष मांग रखी कि पंकज को शहीद का दर्ज दिया जाए और उसकी पत्नी को सरकारी नौकरी के साथ आर्थिक मदद मिले। मां शिप्रा तैराक दल के सदस्यों ने सभी तैराकों का बीमा कराए जाने की मांग रखी और रामघाट पर एम्बुलेंस के साथ ऑक्सीजन मास्क की व्यवस्था करने की बात कही। तैराक दल के सदस्यों का कहना था कि पूर्व में भी इस तरह की मांग को लेकर निवृत्तमान कलेक्टरों ने उनसे सुरक्षा के वादे किए थे। लेकिन अब तक पूरे नहीं किए गए हैं।

एक बच्चे का पिता था पंकज
बताया जा रहा है कि पंकज फोटोग्राफी के साथ शिप्रा नदी में डूबते लोगों को बचाने के लिए दिन हो या रात नदी में छलांग लगा देता था। काफी अच्छा तैराक होने के साथ गोताखोर भी था और एक बच्चे का पिता भी था। मां रामघाट पर ही हार-फूल की दुकान लगाती है। पंकज किसी भी परिस्थिति में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहता था। उसने हजारों डूबते लोगों की जान बचाई थी।