उज्जैन। 14 मार्च से खरमास शुरू हो रहा है। यह खरमास 30 दिन तक चलेगा। खरमार के चलते कोई शुभ मुहूर्त नहीं रहेगा। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार सूर्य जब-जब बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करता है तब खरमास या मलमास होता है। इस बार 14 मार्च, रविवार को यह राशि परिवर्तन हो रहा है। खरमास के दौरान सूर्य की वजह से बृहस्पति निस्तेज हो जाते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए बृहस्पति का होना अनिवार्य है। यही कारण है कि इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश वर्जित होते हैं। यानी 14 मार्च से पूरे एक माह तक शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे। इसके बाद जब गुप्त नवरात्र लगेंगे, तब शुभ कार्य शुरू होंगे। खरमास साल में दो बार लगता है, जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं।
खरमास के दौरान शुभ कार्यों की मनाही है, लेकिन इस दौरान पूजा पाठ किया जा सकता है। यानी शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार करें, लेकिन अपने ईष्टदेव की आराधना जारी रखें। यदि घर में विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश या भूमि पूजन का योग बन रहा है तो 14 अप्रैल के बाद शुभ मुहूर्त की प्रतिक्षा करें। शास्त्रों में लिखा है कि इस दौरान किए गए पूजा अनुष्ठा तथा दान धर्म का बड़ा लाभ मिलता है। ऐसा करने से अशुभ ग्रहों की पीड़ा दूर होती है। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और परिवार में सुख समृद्धि आती है। खरमास या मलमास 14 मार्च को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लगेगा, क्योंकि उस पल सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद 14 अप्रैल को सुबह 2 बजकर 33 मिनट तक सूर्य इस राशि में रहेंगे। तब सूर्य के राशि बदलते ही खरमास या मलमास समाप्त हो जाएगा।