नई दिल्ली । चीन के साथ सीमा पर तनाव कम करने की कोशिश के बावजूद भारत चीन की हर चाल का कूटनीतिक स्तर पर जबरदस्त जवाब देने में जुटा है। मलक्का को लेकर भारत खास रणनीति पर काम कर रहा है। अगर चीन ने चालबाजी की, तो भारत उसकी दुखती रग को छेड़ने से नहीं चूकेगा। मलक्का रूट के जरिए चीन का बड़े पैमाने पर व्यापार होता है। उसकी 80 फीसदी ऊर्जा जरूरत इसी मार्ग से पूरी हो सकती है। वह अरब देशों से इसी रास्ते तेल मंगाता है। भारत मलक्का रूट को अवरुद्ध कर दे, तो चीन को व्यापार के मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है। भारत और उसके सामरिक सहयोगियों को पता है कि चीन की सबसे बड़ी घेराबंदी मलक्का में हो सकती है। लिहाजा क्वाड के सहयोगी देश भारत को इस इलाके में अपनी रणनीतिक लामबंदी में मदद कर रहे हैं। क्वाड देशों ने समुद्री मार्ग में चीन के प्रभाव को कम करने को लेकर चर्चा भी की है। भारत के साथ मुखर तरीक़े से अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं। ऑस्ट्रेलिया पहले नरम था, लेकिन अब वह पूरी आक्रामक रणनीति के साथ चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी में शामिल है। इजरायल जरूरत पड़ने पर भारत को लॉजिस्टिक मदद कर सकता है। फ्रांस ने भारत के पैरोकार के रूप में लगभग वह जगह ली है जो कभी रूस की हुआ करती थी। दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी से परेशान आसियान देश भी धीरे-धीरे भारत के पक्ष में खड़े हो रहे हैं। पिछले दिनों आसियान ने चीन के खिलाफ काफी सख्त बयान दिया था। ब्रिटेन भी पिछले दिनों भारत के साथ आया है।