दो युवक और महिला हिरासत में, डॉक्टर प्रोटेक्शन एक्ट का केस दर्ज
माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
बीती रात जिला अस्पताल में पिता-पुत्र का उपचार कराने पहुंचे परिजनों ने हंगामा कर दिया डॉक्टर के साथ हाथापाई कर बता की गई। चौकी में पदस्थ एएसआई के साथ झुमा झटकी कर पर्चा फाड़ दिया गया। पुलिस ने महिला सहित दो युवकों को हिरासत में लेकर केस दर्ज किया है।
कोतवाली थाना पुलिस ने बताया कि रात 11:00 बजे के लगभग दुर्घटना में घायल हुए अनिल सिंह और उसके पुत्र शुभम निवासी न्यू इंदिरा नगर को परिजन उपचार के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे। जिला अस्पताल इमरजेंसी में डॉ दीपक शर्मा ड्यूटी पर थे। जिन्होंने उपचार शुरू करने के साथ परिजनों को पर्चा बनवाने के लिए कहा और गंभीर घायल अनिल को भर्ती करने की बात कहीं। इस बीच पर्चा बनवा कर लौटे परिजनों ने भर्ती करने से इंकार कर दिया और डॉक्टर के साथ अभद्रता करते हुए हाथापाई करने लगे डॉक्टर को अपशब्द कहे गए। हंगामा होता देख अस्पताल में बनी चौकी पर पदस्थ एएसआई नारायण पाल इमरजेंसी कक्ष में पहुंचे तो घायल के आई महिला महिला ने पुलिसकर्मी के साथ ही झूमा झटकी करते हुए हाथ तक उठा दिया। मामले की जानकारी लगते ही कोतवाली थाना पुलिस का बल मौके पर पहुंच गया। घायलों के परिजनों ने भागने का प्रयास किया लेकिन उन्हें पकड़ लिया गया जिसमें दो युवक और एक महिला शामिल है जिन्हें थाने ले जाया गया जहां डॉक्टर शर्मा और एएसआई की शिकायत पर शासकीय कार्य में बाधा डालने के साथ डॉक्टर प्रोटेक्शन एक्ट का प्रकरण दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार हिरासत में लिए गए युवक का नाम शुभम कुशवाह, अनिल कुशवाहा और किरण है।
कब थमेगी डॉक्टर से अभद्रता
जिला अस्पताल में आज दिन डॉक्टरों के साथ अभद्रता और मारपीट होने के मामले सामने आते हैं। हर बार पुलिस सुरक्षा की बात कहती है। लेकिन मारपीट है कि थमने का नाम नहीं ले रही है। शासकीय अस्पताल में आने वाले घायल और उनके परिजन बेरोकटोक इमरजेंसी कक्ष से लेकर वाडो तक पहुंच जाते हैं। उन्हें रोकने पर विवाद करने लगते हैं। अस्पताल प्रशासन को भी जिला अस्पताल में प्राइवेट अस्पतालों जैसी व्यवस्था कर देना चाहिए ताकि घायल और मरीज को ही सिर्फ एक परिजन के साथ अंदर प्रवेश दिया जा सके। जिला अस्पताल में डॉक्टरों के साथ होने वाले व्यवहार के चलते पूर्व में कई डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं देने से इनकार भी कर दिया था। डॉक्टर की कमी के चलते यहां पदस्थ डॉक्टरों को कई बार 12 से 18 घंटे की ड्यूटी भी करना पड़ रही है। ऐसे समय में अगर डॉक्टरों के साथ विवाद की स्थिति बनती है तो वह कैसे जिला अस्पताल में अपनी सेवा दे पाएंगे।