उज्जैन । कोरोना की दस्तक को एक वर्ष गुजरने के बाद फिर से धड़कनें बढऩा शुरू हो गई है। पिछले तीन दिनों में 105 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आई है। स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या लगभग आधे के करीब है। लेकिन शहर के हालात बदले हुए नजर आने लगे हैं।
जून 2020 में अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बाद लगने लगा था कि उज्जैन जिला कोरोना की जंग जीतने की ओर कदम बढ़ा चुका है। हालात काफी सामान्य हो चुके थे। जैसे-जैसे समय गुजर रहा था, शहर की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौटती नजर आने लगी थी। लेकिन इस बीच जैसे ही कोरोना संक्रमण का एक वर्ष गुजरने के करीब आया शहर के हालात दोबारा से बदलते नजर आने लगे हैं। दिन प्रतिदिन बढ़ती कोरोना मरीजों की संख्या से धड़कनें तेज होने लगी हैं। पिछले तीन दिनों में ही 105 लोगों की रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। 47 मरीज ठीक हुए हैं। इस बीच मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 107 हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों से प्रशासन ने भी गाइड लाइन को लेकर अपना रवैया सख्त कर दिया है। रात 10 बजे बाद बाजार बंद कराया जा रहा है। बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। मंगलवार को शासन-प्रशासन ने रोको-टोको अभियान की शुरुआत कर कोरोना का स्मरण कराया है। बीमारी गई नहीं है, सावधानी सबसे बड़ा हथियार है। अभियान की शुरुआत सायरन बजाकर की गई थी। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सेम्पलिंग की संख्या भी बढ़ाई गई है। अब 1 हजार से अधिक लोगों की जांच प्रतिदिन की जा रही है। मंगलवार को 1308 लोगों की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी जिसमें 44 पॉजीटिव मरीज सामने आए थे। 22 स्वस्थ होकर घर लौटे थे। पिछले एक वर्ष में स्वस्थ होने वालों का आंकड़ा 5344 पहुंच चुका है। वहीं अब तक संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या 5806 हो चुकी है। जिले में लगातार स्वस्थ होने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़ रहा है। अब तक 188353 लोगों के सेम्पल जांच के लिए भेजे जा चुके हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महावीर खण्डेलवाल के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है। लापरवाही व्यक्ति को परेशानी में डाल सकती है जिसकी वजह से परिवार के साथ शहरवासी भी मुसीबत में पड़ सकते हैं। गाइड लाइन का पालन करने से ही शहर कोरोना मुक्त हो सकता है।