जिले के नवाचारों से प्रदेश के नक्शे पर उभरी शाजापुर की नई पहचान
शाजापुर (सुनील नाहर)। एस.लक्ष्मीनारायण, बी.एल.खरे, आशीष उपाध्याय, के.सी.गुप्ता, हीरालाल त्रिवेदी और राजीव शर्मा जिला कलेक्टर के रूप में ये कुछ नाम एसे हैं जिनके कार्यकाल में शाजापुर जिले ने नई कार्य योजनाओं, नवाचारों और कुशल प्रशासनिक व्यवस्था के रूप में निरंतर गति-प्रगति हासिल की। इन प्रशासनिक अधिकारियों ने तय विभागीय कार्य व्यवस्थाओं के साथ स्वयं की वैचारिक क्षमता का कुछ अलग तरह से प्रयोग करते हुए एसे कार्य किए जो शाजापुर जिले के विकास और पहचान में अविस्मरणीय योगदान के रूप में साबित हो गए। अब इसी परंपरा को बढ़ाने का काम वर्तमान जिला कलेक्टर दिनेश जैन करते दिखाई दे रहे हैं जिनकी रचनात्मक सोच और संचालित नवाचारों से प्रदेश के नक्शे पर एक बार फिर रक्तवीरों की धरती के रूप में शाजापुर की नई पहचान उभरती नजर आ रही है। जो जिले के हित में निश्चित शुभ संकेत है।
अपनी वृहद भौगोलिक स्थिति और राजस्थान की सीमाओं को छूने के कारण प्रदेश में शाजापुर जिले की पहचान शुरू से ही समृद्ध जिले के रूप में स्थापित थी, जहां जिलाधीश के रूप में सेवा देने वाले प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने कार्यकाल में कुछ नया करने की सोच हमेशा गतिशील रहती थी। इसीके चलते कुछ कलेक्टरों द्वारा किए गए कार्यों से शाजापुर को कई अच्छी और विकासशील सौगातें भी मिली। जिसने जिलेवासियों को लाभांवित करने के साथ लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोडऩे का काम भी किया लेकिन शाजापुर जिले से आगर जिले के विभाजित होने के बाद यहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार ज्यादा कुछ करने की संभावनाएं लगभग शुन्य सी होती गई। इसमें जान फूंकने का काम कलेक्टर के रूप में जिले में पदस्थ हुए राजीव शर्मा ने किया। इसमें वे बहुत हद तक सफल भी हुए और उसके सार्थक परिणाम भी देखने को मिले। शाजापुर उत्सव और संतरा उत्सव जैसे रचनात्मक आयोजनों की कामयाबी और बोर्ड परिक्षाओं में प्रदेश स्तर पर सर्वाधिक विद्यार्थियों का प्रावीण्य सूची में स्थान अर्जित करना उनकी सकारात्मक सोच से मिली सफलता का प्रमाण बना। उनके स्थानांतरण के बाद नवाचारों में लगे विराम को एक बार फिर इन दिनों दोगुनी तेज गति से मूर्त रूप लेते देखा जा रहा है। अपनी कुशल प्रशासनिक कार्यक्षमता और रचनात्मक विचारों का सदुपयोग करते हुए कलेक्टर श्री जैन ने अपने बीते कुछ महिनें के अल्प कार्यकाल में कोरोना संक्रमण से निपटने के साथ जिस प्रकार जिले में नवाचारों की शुरूआत की और प्रशासनिक टीम के साथ समाज के हर वर्ग का सहयोग हासिल करके उनमें सफलता हासिल की वह शाजापुर जिले के इतिहास में एक नया अध्याय स्थापित करती दिखाई दे रही है। जिले की तहसीलों को आदर्श बनाने की पहल, प्रधानमंत्री आवास को बेटी निवास बनाने की सोच, किन्नर समुदाय को सम्मान देने के लिए सुलभ काम्पलेक्स में पृथक सुविधाएं और उसके बाद शहीद दिवस पर सम्पूर्ण जिले में एक साथ रक्तदान शिविर के आयोजन करवाते हुए एतिहासिक रक्तदान वाले जिले के रूप में शाजापुर को प्रदेश में नई पहचान दिलाने का काम श्री जैन ने सरलता से कर दिखाया। जो अपने आप में काबिलियत की जिंदा मिसाल है। प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ पद पर रहते हुए अत्यंत सहजता और सरलता से अपनी टीम और आमजनता के बीच समन्वय स्थापित करके लक्ष्य हासिल करने वाली कलेक्टर श्री जैन की सोच और उससे सामने आए सार्थक परिणामों को देखकर कहा जा सकता है कि यदि काम करने का हौंसला और उर्जावान सोच हो तो कम संभावना वाले जिले में भी नवाचारों से उत्कृष्ट परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
रिकार्ड तोड़ रक्तदान से मिली शाजापुर जिले को नई पहचान
यदि कोई जरूरतमंद किसी से सहयोग के रूप में धन की मांग करे तो व्यक्ति मांगी गई राशी से दोगुनी राशी देने को भी सहर्ष तैयार हो जाता है लेकिन यदि कोई जरूरत के वक्त अपने रिश्तेदार या परिचित से रक्तदान करने के लिए कहे तो चाहे कितना ही करीबी क्यों ना हो उसके चेहरे पर शिकन आना स्वाभाविक है। रक्तदान-महादान जानने के बावजूद कोई भी अपना रक्त सहजता से देने को तैयार नहीं होता, ये एक मानवीय स्वभाव भी है। लेकिन शहीद दिवस पर जिला कलेक्टर दिनेश जैन द्वारा पूरे जिले में रक्तदान शिविर आयोजित करके जिस प्रकार रिकार्ड तोड़ रक्तदान करवाया गया वह अपने आप में अनूठी मिसाल कायम करने वाला कार्य साबित हुआ। प्रशासन की टीम के साथ सामाजिक, राजनैतिक एवं सक्रिय संस्थाओं को साथ लेकर हासिल किए गए इस लक्ष्य ने जहां शाजापुर जिले की पहचान रक्तवीरों की धरती के रूप में करवा दी वहीं यह भी साबित कर दिया कि यदि वास्तविक सक्रिय संस्थाओं और समाज में स्थापित लोगों का सहयोग लेकर प्रशासन द्वारा किसी बात का आव्हान किया जाए तो लोग अपना वक्त देने के साथ अमूल्य रक्त देने के लिए भी सहर्ष उमड़ पड़ते हैं।