माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
होलिका दहन में भद्रा को विशेष ख्याल रखा जाता है। भद्रा काल के दौरान होलिका दहन नहीं किया जाता। इस साल 28 मार्च को दोपहर 1.33 बजे तक भद्रा है इसलिए शाम को होलिका दहन करने में कोई रुकावट नहीं आएगी। शाम 6.37 से रात्रि 8.56 बजे तक शुभ मुहूर्त में दहन किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि पर भद्रा रहित शुभ मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना जाता है। रविवार को दोपहर तक भद्रा है, इसके बाद रात्रि में लगभग दो घंटे 20 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। पूर्णिमा तिथि पर ही होलिका दहन करना चाहिए। चूूंकि इस बार रात 12.40 बजे तक पूर्णिमा तिथि है, इसलिए आधी रात से पहले दहन कर लेना चाहिए। इसके बाद 12.40 बजे के बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। होली के दिन लगभग 500 साल बाद सर्वार्थसिद्धि योग समेत ब्रह्मा, सूर्य, अर्यमा की युति का संयोग शुभदायी है।
कोरोना के चलते सख्त निर्देश
कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर प्रशासन ने पुजारी, पुरोहितों को केवल परंपरा निभाने के निर्देश दिए हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा जारी पत्र के अनुसार 28 मार्च को संध्या व शयन आरती तथा 29 मार्च को भस्मारती में कोरोना नियम का पालन करते हुए मात्र परंपरा निभाई जाएगी। गौरतलब है कि उज्जैन में सभी त्योहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाते हैं, इसके बाद पूरा शहर उन्हें मानाता है।
सिंहपुरी में परंपरागत दहन
सिंहपुरी में परंपरागत होलिका दहन किया जाएगा। जिसके लिए 5 हजार कंडों की होली सजाई गई है। आज रात वेदमंत्रों के साथ पूजा अर्चना भी होगी। इस्कॉन मंदिर में भी होलिकोत्सव की परंपरा के साथ दहन होगा। वहीं शिप्रा नदी रामघाट पर तीर्थ पुरोहितों द्वारा नारियल से बनाई होली की पूजा अर्चना की जाएगी। शहर के कई स्थानों पर भी आज रात होलिका दहन किया जाएगा।
महाकाल में होगा सबसे पहले होलिका दहन
फाल्गुन पूर्णिमा पर रविवार को सर्वार्थसिद्धि योग में होलिका का पूजन होगा। प्रदोषकाल में शाम 6.37 से रात 8.59 बजे तक पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली मनाई जाएगी। इसके बाद प्रजाजन रंग पर्व मनाएंगे। कोरोना संक्रमण के चलते प्रशासन ने महाकाल मंदिर व शहर में कोरोना नियम के तहत होली मनाने की हिदायत दी है। ज्ञात इतिहास में पहली बार महाकाल मंदिर में पुजारियों के गुलाल लेकर आने पर पाबंदी लगाई गई है। पारंपरिक होली उत्सव के लिए मंदिर समिति पुजारियों को गुलाल उपलब्ध कराएगी। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार प्रदोषकाल में होली का पूजन तथा अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में दहन किया जाता है। उज्जयिनी की परंपरा अनुसार होली, दीवाली आदि प्रमुख त्योहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाते हैं। रविवार को भी स्थानीय पंरपरा अनुसार शाम 7.30 बजे महाकाल मंदिर में होलिका का पूजन व दहन किया जाएगा। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का होली पर फूलों से विशेष श्रृंगार होगा। कटोरियों में भरकर प्राकृतिक रंगों को भगवान के मूल स्वरूप के आसपास रखा जाएगा।