माटी की महिमा न्यूज /उज्जैन
10 दिवसीय आराधना के बाद आज गणपति बप्पा को विदाई देने का समय शुरू हो चुका है। 100 साल बाद बप्पा को बिना झिलमिलाती झांकियों के विदाई दी जाएगी। चिंतामन गणेश मंदिर परिसर में भगवान गणेश की पालकी का भ्रमण कराया जाएगा। शिप्रा के घाटों और जलाशयों में प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया गया है।
22 अगस्त को शुभ कार्य के देवता भगवान गणेश का 10 दिनों के लिए घर घर आगमन हुआ था। कोरोना संक्रमण के चलते धार्मिक नगरी में गणेश उत्सव की धूम फीकी बनी रही थी। घरों में ही भगवान गणेश की आराधना का दौर चल रहा था। आज अनंत चतुर्दशी होने पर गणपति बप्पा को विदाई दी जा रही है। प्रतिवर्ष बप्पा को अपने धाम भेजने का चल समारोह धूमधाम के साथ निकाला जाता है 100 सालों बाद आज पहली बार ऐसा मौका आया है जब बप्पा का विदाई समारोह बिना झिलमिलाती झांकियों के हो रहा है।
अनंत चतुर्दशी पर शहर में कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के साथ शासकीय विभागों द्वारा 20 से लेकर 40 सीट तक की ट्रालीयों में झांकियों का निर्माण किया जाता था और धूमधाम के साथ पूरी रात बप्पा की विदाई का चल समारोह सड़क मार्गों से होता हुआ गुजरता था। कोरोना काल ने सार्वजनिक रूप से होने वाले सभी उत्सवों पर ग्रहण लगा रखा है।
चिंतामन गणेश मंदिर परिसर में बप्पा का होगा भ्रमण
विश्व प्रसिद्ध चिंतामन गणेश मंदिर में 10 दिवसीय गणेश उत्सव धूम कोरोना गाइडलाइन के साथ बनी हुई थी। आज उत्सव के समापन अवसर पर सुबह 4 बजे भगवान गणेश का पंचामृत अभिषेक कर आकर्षक शृंगार किया गया और पूजा अर्चना की गई। भगवान गणेश के दर्शन के लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे थे। प्रतिवर्ष अनंत चतुर्दशी चल समारोह के दौरान मंदिर समिति द्वारा भगवान गणेश की प्रतिमा स्वरूप झांकी चल समारोह के सबसे आगे निकाली जाती थी। इस बार भगवान गणेश को पालकी में विराजित कर आज शाम 6 बजे मंदिर परिसर में ही भ्रमण कराया जाएगा। डोल ग्यारस पर महाकाल के सेनापति कालभैरव महाराज का नगर भ्रमण भी मंदिर परिसर में ही कराया गया था।