नई दिल्ली। कोरोना वैरिएंट के अस्तित्व को लेकर विवाद के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना यानी सार्स कोवि-2 के मुख्य वैरिएंट के नामों को पुकारने और याद रखने के लिहाज से आसान नामकरण किया है। कोरोना के लिए जिम्मेदार वायरस का नामकरण ग्रीक अल्फाबेट का इस्तेमाल करते हुए किया गया है। यह नाम व्यापक रायशुमारी और समीक्षा के बाद तय किए गए हैं। डब्ल्यूएचओ ने इसके लिए विश्वभर के एक्सपर्ट ग्रुप को ऐसा करने के लिए कहा था। इसमें वो लोग भी मौजूद थे जो नेमिंग सिस्टम के एक्सपर्ट हैं, साथ ही नॉमनक्लेचर, वायरस टॉक्सोनॉमिक एक्सपर्ट, रिसर्चर्स और राष्ट्रीय प्राधिकरण भी इसमें शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ उन वेरिएंट्स के लिए लेबल असाइन करेगा जिन्हें वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट या वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न के रूप में नामित किया गया है। भारत में अक्टूबर 2020 में मिले कोरोना वैरिएंट बी.1.617.2 जी/452आर.वी.3 का नाम डेल्टा वैरिएंट रखा गया है। जबकि भारत में ही मिले वायरस के दूसरे स्ट्रेन का नाम ‘कप्पाÓ रखा गया है। ब्रिटेन में साल 2020 के सितंबर महीने में मिले वैरिएंट का नाम ‘अल्फाÓ रखा गया है। वहीं साउथ अफ्रीका में मिले वैरिएंट का नाम ‘बीटाÓ रखा गया है। डब्ल्यूएचओ ने ब्राजील में बीते साल नंबर के महीने में मिले स्ट्रेन का नाम ‘गामाÓ रखा था, यूएस में मिले स्ट्रेन का नाम ‘एप्सिलॉनÓ और फिलीपींस में इस साल जनवरी में मिले स्ट्रेन का नाम ‘थीटाÓ रखा है।