हत्या के दोषी की सजा में सुप्रीम कोर्ट ने किया बदलाव, कहा- अक्सर हत्या और गैर इरादतन हत्या के बीच अंतर करना काफी मुश्किल होता है
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में एक सब इंस्पेक्टर की हत्या के दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दोषी को हत्या का दोषी न मानकर गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया। साथ ही पीठ ने उसकी उम्रकैद की सजा को 10 साल की कैद में बदल दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अकसर हत्या और गैर इरादतन हत्या के बीच अंतर करना मुश्किल होता है क्योंकि दोनों में ही मौत होती है. लेकिन दोनों ही अपराधों में मंशा और मालूम पडऩे के बीच सूक्ष्म भेद होता है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने यह टिप्पणी मध्यप्रदेश में एक सब इंस्पेक्टर की हत्या के दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को बदलते हुए की। पीठ ने दोषी को हत्या का दोषी न मानकर गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया। साथ ही पीठ ने उसकी उम्रकैद की सजा को 10 साल की कैद में बदल दिया। पीठ ने कहा कि आईपीसी के लागू होने के बाद से पिछले डेढ़ सदी ...